एलन सीकर में भक्ति की पाठशाला में भावी डाॅक्टर-इंजीनियर्स को मिली संस्कारों की सीख
सीकर। वीरों की भूमि शेखावटी अंचल के सीकर में रविवार की शाम को भक्ति की सबसे बड़ी पाठशाला का आयोजित की गई। यहां हजारों विद्यार्थियों को भक्ति की इस पाठशाला में संस्कारों की सीख मिली। आनन्द इतना बरसा कि विद्यार्थी खुशियों से झूम उठे। भक्ति और विज्ञान का यह अनूठा संगम रविवार को एलन के समर्थपुरा स्थित एलन संस्कार कैम्पस में देखने को मिला। यहां एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा विद्यार्थियों को अध्यात्म और ध्यान से जोड़ने के लिए संस्कार महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी जी श्री घनश्यामाचार्यजी महाराज ने विद्यार्थियों को धर्म, धैर्य, ध्यान की सीख दी तथा निदेशक गोविन्द माहेश्वरी व नवीन माहेश्वरी ने भजन प्रस्तुत कर भक्ति की गंगा बहाई। समारोह में इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारों विद्यार्थियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक व प्रतिनिधि शामिल हुए। सीजेएम सीकर सुम्रतलाल मीणा भी कार्यक्रम में शामिल रहे। यहां विद्यार्थियों ने ध्येय साधने के लिए धैर्य, धर्म और ध्यान सीखा।
यहां श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी जी श्री घनश्यामाचार्यजी महाराज ने कहा कि संस्कार महोत्सव यानी संस्कारों की सीख देना, संस्कार ही हैं जो हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। हमारे संस्कारों के चलते ही हम परिवार, समाज, देश के प्रति जवाबदेह बनते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान, समाज, देश या प्रदेश किसी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं होता। इसमें ईश्वर की अनुकम्पा के साथ सभी का विश्वास और साथ भी जुड़ा होता है। हमारा विश्वास कितना मजबूत है, यह हमें आगे ले जाता है। विद्यार्थी यदि शिक्षक में विश्वास करता है तो परीक्षा में वो बात भी याद आ जाती है जो कभी दोहराई नहीं। सच्चे मन से दानपुण्य अवश्य करें और इसकी निरन्तरता बनाए रखें, हो सकता है इससे कुछ लाभ नहीं हो रहा हो लेकिन एक दिन इसका पुण्य प्राप्त होगा। हम आज जो सुख भोग रहे हैं, ये हमारे अच्छे कर्म ही हैं। विद्यार्थियों को सफलता का मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को पंच लक्ष्ण का ध्यान रखना होगा। काग चेष्ठा, बको ध्यानम, श्वान निद्रा, अल्पहारी व गृहत्यागी अर्थात एक विद्यार्थी को कौए की तरह चेष्टावान और बगुले की तरह एकाग्र होना चाहिए। श्वान के समान संतुलित नींद लेनी होगी और सात्विक आहार लेना चाहिए और घर का मोह त्यागते हुए लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाएं। सात्विक आहार के साथ जो विद्या ग्रहण करते हैं, वही लंबे समय तक आपके पास रहती है।
गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज
कार्यक्रम की शुरूआत भक्ति गीतों के साथ हुई। इंस्टीट्यूट के निदेशक गोविन्द माहेश्वरी ने गणपति वंदना के साथ भजनों की शुरूआत की। निदेशक नवीन माहेश्वरी भी मौजूद रहे। एक के बाद एक भक्ति भजन प्रस्तुत किए, जिन पर विद्यार्थियों के झूमने का सिलसिला शुरू हो गया। झांकियां और आकर्षक नृत्य के बीच खूब पुष्पवर्षा भी हुई। यहां गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज....., झुक जाओ श्रीरंग जी नाथ झुकनो पड़ सी....., सहित कई भजनों पर विद्यार्थी झूमे।
दिव्य कल्याणोत्सव हुआ
यहां भगवान वेंकटेश व लक्ष्मी की भव्य सवारी आई और दिव्य कल्याणोत्सव शुरू हुआ। कार्यक्रम में फेकल्टीज वर-वधू पक्ष के रूप में रहे। फेकल्टीज पुरूष परम्परागत वेशभूषा कुर्ते पायजामे व पगड़ी में नजर आए व महिला फेकल्टीज ओढ़नी व साड़ी में नजर आईं। यहां भगवान वेंकटेश और लक्ष्मीजी की भव्य सवारी 'गाजे-बाजे के साथ आई और भक्ति भजन गूंजे। गीतों के साथ परिसर तक सवारी पहुंची तो युवाओं का उत्साह हिलौरें लेने लगा। स्वर्ण मंगल गिरी में सुसज्जित भगवत विग्रह, राज्योपचार (छडी, छत्र, चंवर, झंडे, शंख चक्र आदि) से शोभायमान थे। इस पारंपरिक वातावरण में दुल्हे रूप में सजे शंख चक्रधारी भगवान श्रीवेंकटेश की एक झलक देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती रही। यहां कल्याणोत्सव दक्षिण भारत में श्री तिरूपति बालाजी का कल्याणोत्सव वैष्णव परंपरा के अनुसार मनाया गया। इसी तर्ज पर भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव मांगलिक ढंग से हुआ।
