निजीकरण पर रोक लगने से ही वित्त संकट टल सकता है : मनीराम भामू

वित्त संकट को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन
सीकर। राजस्थान जन जागरण मंच की कृष्णा मार्केट में वित्त संकट को लेकर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मंच के संयोजक चौधरी मामराज सिंह ने कहा कि वित्त संकट के कारण राज्य सरकार कर्मचारियों एवं पेंशनरों को डीए का तथा बुर्जुगों को पेंशन का भुगतान समय पर नहीं कर पा रही है और सारे विकास कार्य ठप्प हो गये है। केन्द्र सरकार भी वित्त संकट से जूझ रहीं है और हजारों कर्मचारियों की छटनी, जन कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करने, सरकारी सम्पदा को बेचने को विवश हो रही है। वित्त संकट आर्थिक मंदी, बेरोजगारी छटनी का असली कारण बढ़ता निजीकरण है। निजीकरण के कारण सरकार की आय के सारे स्रोत सूख गये। यदि खान, परिवहन, ऊर्जा, आबकारी व सार्वजनिक निर्माण विभाग में निजी कम्पनियों का प्रवेश न होता तो सरकार का खजाना भरा रहता, न टोल लगता, न रोड़वेज घाटे में चलती, न हर साल बिजली के दाम बढ़ते और न सरकारी नौकरियां खत्म होती।
मोहन बाजोर ने कहा कि मुख्यमंत्री गृह एवं वित्त विभाग को ठीक से नहीं संभाल पा रहे है जिसके कारण राज्य की कानून व्यवस्था एवं वितीय स्थिति बिगड़ रहीं है। १९९८ से पूर्व की तरह इन विभागों के स्वतंत्र मंंत्री होने चाहिए। मुख्यमंत्री फ्री हैण्ड रहकर सभी विभागों का सुपर विजन करें ताकि वित्त संकट टले।
इंजी. हरलाल सिंह सुण्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को विदेश यात्राओं और चुनाव प्रचार के बजाय अर्थव्यवस्था पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। रिछपाल सिंह खोखर ने कहा कि आम आदमी को रोटी और रोजगार वाला विकास चाहिए, भूखे पेट राष्ट्रवाद अच्छा नहीं लगता। मनीराम भामू ने कहा निजीकरण ने राजनेताओं को कारोबारी, दलाल और घोटालेबाज बना डाला जो वित्त संकट पैदा कर रहा है। निजीकरण पर रोक लगने से ही वित्त संकट टल सकता है।